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!!!......गंभीरतापूर्वक व् सौहार्दपूर्ण तरीके से अपनी राय रखना - बनाना, दूसरों की राय सुनना - बनने देना, दो विचारों के बीच के अंतर को सम्मान देना, असमान विचारों के अंतर भरना ही एक सच्ची हरियाणवी चौपाल की परिभाषा होती आई|......!!!
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हरियाणा दिशा और दशा
हरियाणा प्रदेश की दिशा और दशा
हरियाणा प्रदेश की 47वीं वर्षगांठ पर

हम हरियाणा के प्राचीन इतिहास का उल्लेख न करते हुए हरियाणा प्रदेश के गठन की 47वीं वर्षगांठ पर प्रदेश की दशा और दिशा पर एक नजर डालते हैं।

प्रथम नवंबर, 1966 को प्रदेश के गठन के समय हरियाणा देश का 17वां राज्य था, जिसमें कुल सात जिले थे, जो वर्तमान में उनकी संख्या 21 हो चुकी है। प्रदेश के गठन के समय कुल जनसंख्या एक करोड़ से भी कम थी, जो वर्तमान में 2,53,53,081 हो गई है। उस समय हरियाणा में एक लाख जनसंख्या वाला एकमात्र शहर अंबाला था, जो वर्तमान में 20 हो गए हैं। वर्तमान में फरीदाबाद की जनसंख्या तो 10 लाख को पार कर चुकी है। गठन के समय प्रदेश की 82.34 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती थी, जो वर्तमान में 70 प्रतिशत रह गई है। वर्तमान में प्रदेश के गांवों की संख्या लगभग 7316 पहुंच चुकी है। जनसंख्या का घनत्व, जो 227 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से बढक़र 476 व्यक्ति प्रति किलोमीटर हो गया है, जो राष्ट्रीय औसत 324 से काफी अधिक है अर्थात हरियाणा की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। हालांकि हरियाणा 13 बार परिवार नियोजन में देश भर में प्रथम रहा। सन् 1966 से पहले दक्षिण हरियाणा क्षेत्र पंजाब राज्य का सबसे अधिक पिछड़ा हुआ क्षेत्र था जो उस समय पंजाब का काला पानी कहा जाता था। उस समय पंजाब राज्य का कोई भी कर्मचारी का तबादला दक्षिण हरियाणा में सजा के तौर पर किया जाता था और अधिक कर्मचारी आज के पंजाब क्षेत्र से ही हुआ करते थे। दक्षिण हरियाणा में गेहूं की रोटी केवल विशेष मेहमानों को नसीब होती थी।

गांवों में बिजली-सडक़ व जल व्यवस्था का कहीं नाम तक नहंीं था। लोग घरों में मिट्टी के तेल के दीये जलाया करते थे और कुओं से पानी खींचकर पीया करते थे। उस समय हरियाणा में एकमात्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र मंल होता था, बाकी सभी कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय के अधीन थे। मेडीकल कॉलेज के नाम से एकमात्र कॉलेज रोहतक था और हरियाणा में कोई थी इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं था। स्कूली शिक्षा के लिए कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता था। केवल कुछ शहरों में गिने-चुने कॉलेज हुआ करते थे। प्रथम नवंबर, 1966 को राज्य का गठन होने के बाद हरियाणा प्रदेश में चहुमुखी विकास हुआ है। वर्तमान में कुछ प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थाओं की स्थापना होने के साथ-साथ लोगों का शैक्षणिक विकास भी हुआ है। हरियाणा प्रदेश बनने के बाद शिक्षण संस्थानों की स्थापना की श्रृंखला में चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, गुरू जंबेश्वर विश्वविद्यालय हिसार, चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, प्रथम महिला विश्वविद्यालय खानपुर(सोनीपत), चौ. छोटूराम तकनीकी विश्वविद्यालय मुरथल के अतिरिक्त फरीदाबाद और मेवात में मेडीकल कॉलेज खोले गए तथा कल्पना चावला मेडीकल कॉलेज का शिलान्यास हो चुका है। मेडीकल कॉलेज, रोहतक एक विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त कर चुका है। देश का पहला प्रतिरक्षा विश्वविद्यालय गुडग़ांव में बन रहा है तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जो देश का अग्रणीय मेडीकल संस्थान है, ने भी अपना कदम बाहर रखकर झज्जर जिले के भाड़सा गांव में अपनी ओपीडी शुरू करने जा रहा है। इसके अतिरिक्त अनेकों सरकारी प्रतिष्ठित संस्थाएं हरियाणा में खुल चुकी हैं या खुल रही हैं तथा प्राइवेट संस्थानों की आज हमारे यहां भरमार है वर्ना प्रदेश के बच्चों को लाखों रूपए डोनेशन देकर महाराष्ट्र, कर्नाटक व दक्षिण भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए जाना पड़ रहा था।

वर्तमान में हरियाणा देश का एक राष्ट्रीय शिक्षा हब के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। उसी का परिणाम है कि जब 2001 तक गुडग़ांव और फरीदाबाद में तकनीकी रोजगार में हरियाणवी बच्चों की औसत पांच प्रतिशत से भी कम थी और वहां पर बंगाल, उड़ीसा, केरला और बिहार वालों का पूर्णतया आधिपत्य था। अभी वहां हरियाणवी का आंकड़ा 20 प्रतिशत से भी अधिक पहुंच चुका है। इसी प्रकार देश की एक प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय नार्थ कैंपस, जहां हरियाणवी बच्चों की संख्या सन् 2001 तक मात्र दस प्रतिशत भी नहीं थी, वर्तमान में 40 प्रतिशत को भी पार कर चुकी है। इसी का परिणाम था कि पिछले दिनों वहां के डूसू चुनाव में जीत का सेहरा हरियाणवी बच्चों के सिर बंधा और अभी हरियाणा के बच्चे आईएएस तथा आईआईटी में टॉप कर रहे हैं।

हरियाणा प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा के बाद दूसरे नंबर पर है। हालांकि गोवा की आय पूरी तरह केवल टूरिज्म पर आधारित है। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति निवेश के मामले में हरियाणा अव्वल है। मनरेगा के तहत दी जाने वाली 191 रूपए की दिहाड़ी हरियाणा में सबसे अधिक है। खेती की पैदावार मामले में हरियाणा सर्वोपरि है तो पशुधन में उसकी देश में कहीं भी बराबरी नहीं है। खेलों के मामले में तो हरियाणा का नाम देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में विख्यात हो चुका है। जब कभी पंजाब, केरला और मणीपुर के बच्चे खेलों में अग्रणीय हुआ करते थे। वर्तमान में वे हरियाणा के बच्चों के कहीं नजदीक भी नहीं हैं। जहां तक कि हरियाणा, जिसमें भवन निर्माण आदि के कारण वन क्षेत्र सबसे अधिक घटना चाहिए था, वर्तमान में 3.14 प्रतिशत से बढक़र 3.64 हो गया है। हरियाणा प्रदेश राजनीति के तौर पर जो कभी आयाराम-गयाराम के नाम से जाना जाता था और नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए आपस में हथकडिय़ां डलवाने से भी परहेज नहीं करते थे। इसमें भी वर्तमान में राजनीतिक द्वेष कुछ हद तक कम हुआ है तथा राजनीतिक परिपक्वता आई है।

हरियाणा प्रदेश हरित क्रांति का अगुआ रहा, फिर भी अधिकतर किसानों की जेब खाली है। अक्सर कहा जाता है कि भारतीय फौज में प्रत्येक दसवां सिपाही हरियाणवी है, लेकिन हरियाणा के गांवों में वर्तमान में दस लाख से अधिक बेरोजगारों की फौज खड़ी है। इन सबके बावजूद हरियाणा को कई क्षेत्रों में तरक्की करने की परम आवश्यकता है। जैसे-जैसे प्रदेश के लोगों की आर्थिक व्यवस्था मजबूत होती जा रही है, उसी अनुपात में बिजली की खपत बढ़ती जा रही है। लेकिन कई ताप बिजलीघर स्थापित होने के बावजूद भी बिजली का संतुलन अब तक हरियाणा राज्य में कायम नहीं हो पाया है। लड़कियों का घटता अनुपात हरियाणा में बहुत बड़ा चिंता का विषय है। परिणामस्वरूप, हरियाणा के लडक़ों को दूर दराज के प्रदेशों से दुल्हन खरीदकर लानी पड़ रही हैं अर्थात प्रदेश का पैसा बाहर जा रहा है तथा लड़कियों का औसत कम होना भी बलात्कार को बढ़ावा दे रहा है। गांव में स्त्रियों के लिए पर्दा प्रथा उनके विकास में एक बहुत बड़ी बाधा है और यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और इसमें गांवों में अभी तक नाम मात्र की प्रगति है। हालांकि कानून के तहत स्त्रियों को राजनीति में आरक्षण मिल चुका है, लेकिन गांवों में अभी भी स्त्रियों के नाम पर चुनाव उनके पति या बेटे लड़ रहे हैं और वही अप्रत्यक्ष रूप से कार्य कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि ग्रामीण समाज में अभी तक स्त्रियों को उनका वास्तविक अधिकार प्राप्त नहीं है, जिसका कारण अशिक्षा और अज्ञानता है। गांवों की पंचायतों में बहस या वाद-विवाद के दौरान महिलाओं की उपस्थिति लगभग नदारद है। कहने का अर्थ है कि गांवों में अभी भी औरतों को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है। वैसे तो हरियाणा के शहरों में भी स्त्री को समानता का दर्जा प्राप्त नहीं है, इसी कारण हमारे प्रदेश में दहेज और भ्रूण हत्या का दानव विराजमान है।

हरियाणा में शराब के नशे की लत बहुत तेजी से बढ़ रही है। सन् 1966 में शराब की खपत 14 लाख 20 हजार लीटर थी, जो वर्तमान में 6 करोड़ को पार कर चुकी है। हरियाणा की अन्य जातियों के अधिकांश लोगों ने अभी तक दलित समाज की प्रगति को सहृदय से स्वीकार नहीं किया है तथा उनमें अभी भी उनके प्रति द्वेष भावना है, हालांकि पहले छुआछूत ज्यादा थी लेकिन द्वेष भावना नहीं थी। ऐसी भावना भी हरियाणवी समाज के माथे पर कलंक है। जिस प्रकार कभी दक्षिणी हरियाणा को पंजाब का काला पानी कहा जाता था, उसी प्रकार आज मेवात को हरियाणा का काला पानी कहा जाता है। वहां का पिछड़ापन प्रदेश के माथे पर कलंक है, चाहे वहां पिछड़ेपन का कारण कुछ भी हो? ज्यों-ज्यों हरियाणा प्रदेश में आर्थिक प्रगति हो रही है, उसी अनुपात से आर्थिक अपराध के साथ-साथ आपस में मारामारी भी बढ़ रही है और भाई-भाई का दुश्मन बन बैठा है। यह भी हरियाणा प्रदेश की भविष्य की प्रगति में एक बड़ी बाधा है। सबसे बढक़र वर्तमान में बढ़ते बलात्कार के मामले सबसे अधिक चिंता का विषय है, जिसका मुख्य कारण बीमार मानसिकता है। इस अपराध का उम्र, जाति और धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इनकी रोकथाम की जिम्मेदारी सरकार और समाज की है। शारीरिक बीमार आदमी को डॉक्टर चाहिए और ऐसे दिमागी बीमार आदमी को पुलिस चाहिए। इसीलिए हरियाणा पुलिस में गिरता हुआ आत्मविश्वास फिर से बहाल करने की आवश्यकता है ताकि वह दिमागी तौर पर बीमार लोगों का तुरंत ईलाज करे ताकि इस अपराध को भविष्य में रोका जा सके।


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर


लेखक: हवासिंह सांगवान, पूर्व कमांडेंट

प्रथम संस्करण: 03/11/2013

प्रकाशन: निडाना हाइट्स

प्रकाशक: नि. हा. शो. प.

उद्धरण:
  • नि. हा. सलाहकार मंडल

साझा-कीजिये
 
इ-चौपाल के अंतर्गत मंथित विषय सूची
निडाना हाइट्स के इ-चौपाल परिभाग के अंतर्गत आज तक के प्रकाशित विषय/मुद्दे| प्रकाशन वर्णमाला क्रम में सूचीबद्ध किये गए हैं:

इ-चौपाल:


हरियाणवी में लेख:
  1. त्यजणा-संजोणा
  2. बलात्कार अर ख्यन्डदा समाज
  3. हरियाणवी चुटकुले

Articles in English:
    General Discussions:

    1. Farmer's Balancesheet
    2. Original Haryana
    3. Property Distribution
    4. Woman as Commodity
    5. Farmer & Civil Honor
    6. Gender Ratio
    7. Muzaffarnagar Riots
    Response:

    1. Shakti Vahini vs. Khap
    2. Listen Akhtar Saheb

हिंदी में लेख:
    विषय-साधारण:

    1. वंचित किसान
    2. बेबस दुल्हन
    3. हरियाणा दिशा और दशा
    4. आर्य समाज के बाद
    5. विकृत आधुनिकता
    6. बदनाम होता हरियाणा
    7. पशोपेश किसान
    8. 15 अगस्त पर
    9. जेंडर-इक्वलिटी
    10. बोलना ले सीख से आगे
    खाप स्मृति:

    1. खाप इतिहास
    2. हरयाणे के योद्धेय
    3. सर्वजातीय तंत्र खाप
    4. खाप सोशल इन्जिनीरिंग
    5. धारा 302 किसके खिलाफ?
    6. खापों की न्यायिक विरासत
    7. खाप बनाम मीडिया
    हरियाणा योद्धेय:

    1. हरयाणे के योद्धेय
    2. दादावीर गोकुला जी महाराज
    3. दादावीर भूरा जी - निंघाईया जी महाराज
    4. दादावीर शाहमल जी महाराज
    5. दादीराणी भागीरथी देवी
    6. दादीराणी शमाकौर जी
    7. दादीराणी रामप्यारी देवी
    8. दादीराणी बृजबाला भंवरकौर जी
    9. दादावीर जोगराज जी महाराज
    10. दादावीर जाटवान जी महाराज
    11. आनेवाले
    मुखातिब:

    1. तालिबानी कौन?
    2. सुनिये चिदंबरम साहब
    3. प्रथम विश्वयुद्ध व् जाट

NH Case Studies:

  1. Farmer's Balancesheet
  2. Right to price of crope
  3. Property Distribution
  4. Gotra System
  5. Ethics Bridging
  6. Types of Social Panchayats
  7. खाप-खेत-कीट किसान पाठशाला
  8. Shakti Vahini vs. Khaps
  9. Marriage Anthropology
  10. Farmer & Civil Honor
नि. हा. - बैनर एवं संदेश
“दहेज़ ना लें”
यह लिंग असमानता क्यों?
मानव सब्जी और पशु से लेकर रोज-मर्रा की वस्तु भी एक हाथ ले एक हाथ दे के नियम से लेता-देता है फिर शादियों में यह एक तरफ़ा क्यों और वो भी दोहरा, बेटी वाला बेटी भी दे और दहेज़ भी? आइये इस पुरुष प्रधानता और नारी भेदभाव को तिलांजली दें| - NH
 
“लाडो को लीड दें”
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
कन्या के जन्म को नहीं स्वीकारने वाले को अपने पुत्र के लिए दुल्हन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए| आक्रान्ता जा चुके हैं, आइये! अपनी औरतों के लिए अपने वैदिक काल का स्वर्णिम युग वापिस लायें| - NH
 
“परिवर्तन चला-चले”
चर्चा का चलन चलता रहे!
समय के साथ चलने और परिवर्तन के अनुरूप ढलने से ही सभ्यताएं कायम रहती हैं| - NH
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