संस्कृति
 
लोकगीत-संगीत
culturehr-religion.html
Culture.html
!!!......जो अपनी ऐतिहासिक जड़ों व् संस्कृति को नहीं जानते, उनकी सामाजिक पहचान एक बिना पते की चिठ्ठी जैसी होती है; ऐसे लोग सांस्कृतिक रूप से दूसरों की दार्शनिकता के गुलाम होते हैं| यह एक ऐसी संस्कृति को समर्पित वेबसाइट है जो "हरियाणव" के नाम से जानी जाती है|......!!!
आप यहाँ हैं: दहलीज > संस्कृति > लोकगीत-संगीत
स्थानीय लोकगीत-संगीत

लोकगीत:


लोकगीत मौके और मौसम के अनुसार गाये जाते हैं, इनको निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: सांझी के गीत, बंदडे-बंदड़ी के गीत, जच्चा के गीत, जन्म-छटी के गीत, मृत्यु के गीत, हरियाणवी भक्ति-भजन, सावन के गीत, गूगा-पीर के गीत, कार्तिक-स्नान के गीत, होली-फाग के गीत और देश-भक्ति के गीत| नीचे इन उदाहरणों समेत वर्गीकृत कर संक्षिप्त में लिखा गया है: 

  • सांग-गाथाएं: विभिन्न गाथाएं और स्थानीय किस्से

  • आल्हा (वीर-गाथाएं, महाकाव्य, वंशावली) - गठ्वाला खाप की वीर-गाथा आज भी स्थानीय लोक-गीत का हिस्सा है| जल्द ही इस गाथा को इस पृष्ठ पर डाला जायेगा|

  • गूगा के स्व्ययें

  • निहाल देह, नाहर सिंह

  • बम-लहरी: भगवान् शिव-भक्ति गाथा - स्थानीय जोगियों और मीरासियों द्वारा गई जाती है,
    उदाहरणत: हे जी! रामचंदर संग कथाभजन और हर के भजन करो पार्वती! खोल-पलक बम देखो रे नाथ तेरी सेवा-भजन में कौन खड़ी!! बम बम बम और बम-लहरी...!!!

  • रागनियाँ: किस्से, फुटकार, देशभक्ति

  • छन्न-स्व्ययें-उलाहने:

    • कचरी: मीठी रे लागे री ज्वार तेरी राबड़ी, दळ-चक्की हांडी में गेरी, तलै दई लाकड़ी, रांद-रूंद कै खावण लाग्या ऊपर आग्यी पापड़ी, मीठी लागे रे ज्वार तेरी राबड़ी......

    • छन्न: छंद पै छंद, छंद पै आंगी, एक तो लेगे ब्याही एक दे द्यो मांगी.....

    • कचरी: कड़वी कचरी हे माँ मेरी काच्ची-काच्ची, कड़वे सास्सड़ के बोल, बड़ा दुहेला हे माँ मेरी सांसरा......


  • आकस्मिक:

    • रांझे: रांझे हारी-बीमारी या गाँव-डेरों के उजड़ने पे गाये जाते हैं और मर्द गायकों द्वारा गाये जाते हैं| भूतकाल में जोगी और मिरासी लोग इनको गया करते थे|

    • मृत्यु (जग-गीत): उदाहरणत: - Maम्हारा बुढ़ा/बुढ़ी रंग चा ला गया हे ......

    • मृत्यु (मंजिल-पहुँचाना): उदाहरणत: - हाय-हाय केला तोड़ लिया - हाय-हाय बण म शेर मारया......

    • मृत्यु (सांपा-अपना दुःख रोना): एक जवान की आकस्मिक मृत्यु पर......



प्रासंगिक:


  • ब्याह-शादी:



      • दादा खेड़ा को मनाना: उदाहरणत: -

        1. पांच-पताशे लॉन्ग का जोड़ा, ले खेड़े पै जाईयो जी| जिस ढाली म्हारा खेडा बैठा , वा डाली झुक जाईयो जी.....

      • साँझी: उदाहरणत: -

        1. देश जांदा हो दादा परदेश जाइए, म्हारी जोड़ी का वर ढूँढिये.....

      • बान्ने: उदाहरणत: -

        1. युब्बन बनवाडा ए न्युदियो, घर फलाणयाँ कै यू जा......,
        2. हे समंदरां का तात्ता पाणी, हे फलाणे का बेटा नहाइयो.....

      • भात-भराई: उदाहरणत: -

        1. कहियो री उस खाती के लड़के नै, पाटड़ा तो ल्यावै म्हारे लाल में......,
        2. मेरी जेठाणी के पांच भाई, हे री मेरी माँ का जाया एकला.......

      • सींटणे:

        1. हमनै बलाए लांबे-लांबे, छोटे-छोटे आये री बछेरे!
        2. बाज्या-ए-नंगाडा फलाणे का, म्हारै बयाह्वण आये, आपणी बेबे नै छोड़ कें म्हारै ब्याहवण आये!
        3. बड़ा पढ़या ओ दादा बड़ा पढ़या, मार फलाह्री गधे चढ़या!
        4. फलाणे तेरी रे बेबे ब्याहिये, फेरां पै फूल बखेरिये!
        5. हमनै बलाए भूरे-भूरे, काले-काले आए री पस्सेरे ठठ्ठे आये री पस्सेरे बछेरे!!
        6. के मौसा जी थामे गाम गए थे, के ब्हाओं थे गाड्डी हो, बन्दडा सुथरा, पुराणा शेहरा, डूब मरे थारे भाती हो!
        7. म्हारी बन्दड़ी इस्सी खड़ी जाणू महल्या म्ह राणी खड़ी, थाहरा बन्दडा ईसा खड्या जाणू कुर्डीयाँ म्ह गधा खड्या!
        8. खोल ऊतणी के कांगणा, खोल बेशां की कांगणा!
        9. खिंडगी काक्कर-खिंडगे रौड़, खिंडगी जणेतियो थारी मरोड़!
        10. चुग ले काक्कर-चुग ले रोड़, चुग ले मौसा तेरी मरोड़!
        11. धोळी ह्वेली म्ह मोग ए मोग, बन्दडे की बेबे के लोग-ए-लोग!
        12. धोळी ह्वेली मोग बन्या, बन्दडे की बेबे लोग बना!
        13. पटडी ए पटड़ी मुस्सी जा, बन्दडे की बेबे रूस्सी जा, कान पकड़ कै लयावांगे, म्हारे वीर कै ब्याह्वांगे!
        14. आधी रोटी खांड बन्या, सारे जनेती रांड बना!
        15. फलाणे बेबे नै समझा ले हो, काब्बळइ चाल्दी, साड्डे लाम्बे-लाम्बे तूत, तूतां पै चढ़ी!


      • बोलियाँ (बारी-बरसी): उदाहरणत:

        1. बारी बरसी - कठण गया सी, कठ्के ल्यान्दा बेर, फलाणे गाम (दुल्हन के शहर-गाँव का नाम) की मोरणी नै ब्याहवण आया फलाणे गाम (दुल्हे के शहर-गाँव का नाम) का शेर.....

      • बिदाई : उदाहरणत: -

        1. साथण चाय्ल पड़ी ए मेरे दब-दब भर आये नयन, आपणी साथड़ नै मैं चुंदड़ मँगा दयूं......,
        2. रे बीरा एक बै घेरां म्ह जाइए, आपणी मय्यड़ की धीर बंधाइये उसने रो-रो सुजा ली आँख , बेटी तो मेरी चाल पड़ी.....,
        3. मैँ तै गुड़िया भूली ओ बाब्बल तेरे आळए म.......म्हारी पोती खेलै हे धीयङ घर जा अपणै

  • जच्चा: उदाहरणत: -

    1. कोए मांगी कढ़ाई ना दे, मेरा जी हलवे नै......

  • जन्म: उदाहरणत: -

    1. रूईदार-म्हारै घाल्या री पालणा, जागे म्हारे भाग होया री म्हारे लालणा ......

  • छटी: उदाहरणत: -

    1. जच्चा की जीभ चटोरी, घी-जलेबी माँगे हे......

  • फर्ज और पेशे के उल्लास:

    • देशभक्ति गीत : उदाहरणत: -

      1. वीर मेरे भर्ती हो ज्या रे, तेरे बहार खड़े रंगरूट.....

    • पनघट: उदाहरणत: -

      1. सात-जणी का हे माँ मेरी झुमका, हे-री मेरी साथड़ राणी सातों पाणी नै जाँ......




स्थानीय तीज-त्यौहार:

नाटकशाला (नाटक - कला):

  • खुला मंच और रंगशाला दोनों: सांग, लोकगीत, रागनियाँ, आल्हे, बम-लहरी, नुक्कड़-नाटक, एतिहासिक गाथाएं और किस्से, नौटंकी, रामलीला,

  • खुला मंच प्रारूप: सामान्य भजन, आर्य-समाजी भजन, बाद्दियों के तलवारबाजी और जान जोखिम में डालने वाले तमाशे, साईकल का खेल, डुगडुगिया का खेल, सांप का तमाशा, बन्धु वाला खेल, बंदरिया का खेल

  • नृत्य: घूमर (फागुन में), धमाल (फागुन में), छटी के नाच, खोड़िया (बारात विदाई पे), गूगा नृत्य (बाधुआ के महीने में), घोड़ी-धोंसा नृत्य (ब्याह-शादी में केसुहड़े के आगे घुड़सवार का नगाड़ा बजाते घोड़ी को नचाते हुए आगे-आगे चलना)

  • संगीत वाध्य-यंत्र:

    • मुंह से बजाने वाले यंत्र: अलगोजा, बीन, बांसुरी, तुर्री, तूती, , पीपनी

    • हाथ से बजाने वाले यंत्र: घड़वा, ड्रम, डुगडुगी, डेरू, ताशे, मजीरे-ढोल, नगाड़े, ढफली, ढफ, चिमटा, तुम्बा, खंजरी, कलारनेत, धोंसा, धोंस, तास्सा, खड़ताल

    • तार के यंत्र: तारा, सारंगी, बेन्जू

    • अन्य: घुँघरू, हारमोनियम, झुनझुने, टाल्ली-घंटी (जंगम जोगी)


  • आधुनिक सिनेमा-रंगशाला:

    • रंगशाला: स्थानीय विधार्थी भिन्न-भिन्न रंगशाला के कार्यक्रम और यूथ फेस्टिवलों में भाग लेते रहते हैं| इन कार्यक्रमों में सबसे मशहूर और लोकप्रिय हैं रत्नावली, जोनल-अंतर-जोनल और अंतर-विश्वविधालय हरियाणवी रंगारंग प्रतियोगिताएं, समय-समय पर हरियाणा सांस्कृतिक विभाग द्वारा आयोजित किये जाने वाले नुक्कड़-नाटक| 

    • फिल्म: हरियाणवी, हिंदी (बालीवुड), पंजाबी, अंग्रेजी (हालीवुड)

    • टीवी कार्यक्रम: हर तरह के कार्यक्रम


विशेष: वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक: पी. के. मलिक

प्रकाशन: निडाना हाइट्स

प्रथम संस्करण: 25/04/2012

प्रकाशक: नि. हा. शो. प.

उद्धरण:
  • नि. हा. सलाहकार मंडल

  • Sulochana Kundu

  • Sunita Kundu

  • Kusum Malik

  • Darshana Malik

  • Santosh Malik

  • Vimla Devi

  • Uday Sheokand

साझा-कीजिये
 
जानकारी पट्टल - संस्कृति
संस्कृति जानकारी पत्र आपको संस्कृति और जमीन से सम्बंधित वेबसाइटें उपलब्ध करवाने हेतु है| NH नियम और शर्ते लागू|

संस्कृति और जीवन
भारत
हरियाणवी
निडाना दर्शन - गाँव की फिरणी की तस्वीरें - ८ फोटो
नि. हा. - बैनर एवं संदेश
“दहेज़ ना लें”
यह लिंग असमानता क्यों?
मानव सब्जी और पशु से लेकर रोज-मर्रा की वस्तु भी एक हाथ ले एक हाथ दे के नियम से लेता-देता है फिर शादियों में यह एक तरफ़ा क्यों और वो भी दोहरा, बेटी वाला बेटी भी दे और दहेज़ भी? आइये इस पुरुष प्रधानता और नारी भेदभाव को तिलांजली दें| - NH
 
“लाडो को लीड दें”
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
कन्या के जन्म को नहीं स्वीकारने वाले को अपने पुत्र के लिए दुल्हन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए| आक्रान्ता जा चुके हैं, आइये! अपनी औरतों के लिए अपने वैदिक काल का स्वर्णिम युग वापिस लायें| - NH
 
“परिवर्तन चला-चले”
चर्चा का चलन चलता रहे!
समय के साथ चलने और परिवर्तन के अनुरूप ढलने से ही सभ्यताएं कायम रहती हैं| - NH
© निडाना हाइट्स २०१२-१९