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छन्न
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
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हरियाणवी छन्न साहित्य

कुल 135
  1. ना टूणे में किम्मे धरया,
    ना पाथर में भगवान्,
    ना घाल घालें घले,
    ना बुझा में किम्मे ज्ञान|

  2. कोए जर जोड़ मुक्या,
    कोए जर छोड़ मुक्या,
    कोए कर जोड़ मुक्या,
    कोए कर मरोड़ मुक्या||

  3. जात बिरादरी, गोत नात,
    जाट होण का अभमान कर|
    धी बेटी स तू म्हारी,
    म्हारी पगड़ी का तू सम्मान कर||

  4. मेरे गोत की गाम-गुहांड की,
    मेरी भाण से सुणल्यो भाई|
    जरुर करिओ सम्मान इनका,
    पुर्खयाँ ने या रीत बनाई||

  5. ना दर्शन कदे भूत के,
    ना प्रेत चिपटया कोए,
    ए - भोले माणसा,
    यु धंधा, पेट भरण का होए|

  6. संसार चक्कर देखिये,
    चारुं धाम पूज|
    पोथी पाखण्ड तज दिओ,
    पावन करम ना दूज||

  7. जीवे था जब भूखा मार्या,
    इब्ब तू काग जीमावे स,
    इहलोक सध्या कोणी,
    क्यूँ परलोक में धिकावे स||

  8. में गुड भी, में भांखर भी,
    में दिवा भी, में ताखर भी,
    में मूरत भी, में पाथर भी,
    में श्याही भी, में आखर भी||

  9. धरम हीन सें वे बन्दे,
    जो माथा टेकें जा मजार,
    मुर्दा पूजें जी की होज्या,
    च्याणी कर ल्यो फेर घरबार||

  10. धन भी जावे, मान भी जावे,
    उज्जड हो जा डेरा,
    निरोगी शरीर ना आपणों,
    पड़े करड़ाईयाँ का घेरा||

  11. जरूत पड़ी में आवे काम,
    बोझडा हो चाहे केर का|
    भीड़ पड़ी में समर भाई ने,
    ध्यान ताज दिओ बैर का||

  12. तेरा नाँ लिखूं शहीदां में,
    में गददी लह जाऊं,
    तेरे बालक रेताँ रलें,
    में तेरी मढ़ी पे फूल चढाऊं||

  13. बखत तें बड्डा ना गुरु कोए,
    ना बखत तें बड्डा बलवान,
    बखत पड़ें धनी हो ज्या ऋणी,
    बखत पे गधा भी भगवान्||

  14. दीन हीन का जाट बन्या सहारा,
    जमाने ने सदा शीश न्युवाया स,
    तेरी कौम रही ऊँची सदा,
    जुग-जुग तू सरहाया स||

  15. दुनिया का बड़ा झमेला,
    कदे मेंले में, कदे अकेला,
    काल था वो आज नहीं,
    कद बागा दे बखत का रेळआ||

  16. जण-जण का बणाया राम,
    जण-जण का दिया दान,
    भामण बण्या मठाधीश,
    खानदान की खुली दूकान||

  17. पाथर के तिलक लावें,
    ये सारे करम के चोर,
    ज्ञान का अन्धकार तेरे मेंह,
    कद होवेगी भोर?

  18. मेरा स, वो तो मेरा स,
    तेरा स, वो भी मेरा स,
    क्यूँ कोळी भरे बावले,
    जो तेरे धोरे, वो भतेरा स||

  19. जिहने लाग्गे बलध बेटे तें भी प्यारा,
    अंगतोड़ मेहनती किसान म्हारा,
    फसल पे धी ने ब्याहवे,
    फसल बिगड़ी, फांसी खा जावे||

  20. जोहड़ में पाणी भरया,
    जोहड़ आपे कोणी पीवे,
    जीवन उह का धन्य,
    जो समाज ने गेल ले के जीवे||

  21. शबद में स साच,
    शबद में से झूठ,
    जो ना समझे मर्म,
    रह मूढ़ का मूढ़||

  22. उह कुवाड का के पहरा,
    जिह की कोए चूळ नहीं।
    वा बाड़ भी के काम की,
    जिह में होवें शूळ नहीं॥

  23. पोतडा भी बिन गोझ का,
    अर कफ़न भी बिन गोझ।
    जिब्ब किम्मे गेल्याँ कोणी जाणा,
    क्यूँ ठार्या मोह-माया का बोझ।।

  24. कहे में हो जावे,
    अर मान्ने सारी नार|
    उह बन्दे का घर सुरग,
    सुख मिले अपार॥

  25. ग्यानी-ध्यानी संतां ने,
    संसार दीखाया गूढ़।
    पण्डे -पुजारी पाथर पूजें,
    रहे मूढ़ के मूढ़॥

  26. आछा भुंडा किम्मे नि होंदा,
    यु स सब बखत का फर।
    एक बखत वो कुरडी दीखे,
    दूजे बखत वो खात का ढेर।।

  27. सीधा माणस पिटे पहलम,
    सीधा रूंख कटे पहलम|
    सम्झन्निये की मर हो स,
    धन उह का बंटे पहलम॥

  1. आज नि मान्ये ते सुण ल्यो,
    तडके मुंह बाओगे,
    आज "धी" की घेटी दाब,
    तडके "बोहडिया" किथों ल्याओगे|

  2. तज बाबुल का दार,
    में बालम घर आई|
    कोए ना जाणे पीड़ नु,
    कहवें पराई जाई||

  3. कित माता ने जनम दिया,
    कित बाबुल ने लड़ाए लाड|
    कित पीया ओढाई लुगडीया,
    कित जा के खींड गे हाड||

  4. ना करण का तरपण,
    ना ठाण के फूल,
    किते भी बहवा दिओ,
    रह धूळ की धूळ|

  5. लांडी धोती खुल्ली लान्गड़,
    पाट रहे तेरे पासने,
    भामण बाणीये ना भरोसिये,
    ये दोनु सें चासने||

  6. इन् तिन्नां तें जग चले,
    इन् तें-ए होवें सारे काम,
    फेर भी ये घणी आछी कोणी,
    मोह, माया और काम||

  7. साधू-साधू सब कहवें,
    साधपणा ना कोए,
    झोली ठाएँ मांगदे फिरें,
    जो ना काट सके, ना बोये||

  8. ना धरती थी, ना था आसमान,
    बस था, एक बिया बान,
    उह ने थी अलख जगाई,
    उस्से तें स ज्ञान-अज्ञान||

  9. टोक लागें जा टुक जा,
    में कर दयूं टोकम-टोक,
    तूँ श्याने ने भरमाया,
    अक्ल तेरी दी स ठोक||

  10. पतरा साधें आगा दीखे,
    फेर दुःख दरद में मीमावे क्यूँ ?
    बालक तेरे हान्डें भीखते,
    गाम गुहांड ने भाकावे क्यूँ ?

  11. बरत करे, भूखा मरणा,
    जा न्यू पार हो बेतरणा|
    फेर भीखारी जो भूखा मर्ज्या,
    वो क्यूँ ऩा सीधा सुराग में जा?

  12. सिद्धे ने चाहे सीधा दे,
    चाहे कर आड्डा दे,
    मुफ्त खोर सें वे नर,
    चाहे भर-भर गाड़डा दे||

  13. लुगाई ना ज्ञान की,
    ना सुन्दरता, स्वाभिमान की,
    ना मर्द बलवान की,
    लुगाई स बस धनवान की||

  14. जो तेरा स वो मेरा,
    जो मेरा स वो तेरा,
    इतना साझा कर ले बन्दे,
    इह दुनिया में सुख भतेरा||

  15. पहाड़ उप्पर राम बिठाया,
    हजार लाइ पौड़ी,
    तले के उह का जी लागे कोणी,
    क्यूँ जन-जन की कड़ तोड़ी||

  16. आपा पोखि ना देखे दोष,
    काम में अंधा खोवे होंश,
    चाप्लुश हक़ नु लेवे खोश,
    निकरमा लावे दुसर्यां के दोष||

  17. हीरे माणक मोती चढ़ाए,
    पाथर का बणाया भगवान्,
    चोर डाकू सब ले गे,
    रह ग्या वो-ए पाथर पाषाण||

  18. दोनु हाथ कमाइए,
    खिंडआवे पूत कपूत,
    आछी शिख्या दीजिये,
    कमावे पूत सपूत||

  19. मरद जबान का,
    घोड़ा लगाम का,
    धणी कमाण का,
    बलध बहाण का||

  20. यु भी मेरा, वो भी मेरा,
    भर लिए बाषण बुखारी,
    देहि तक गेल्याँ जावे कोणी,
    क्यूँ कट्ठे करे, पाप तू भारी||

  21. जा एक पास्से घुम्मे मधाणी,
    घी कोणी काढ्या जावे,
    जा दुःख नाँ हों जींदडी में,
    सुखका सुवाद कोणी आवे||

  22. थारे आई, सुपने ल्याई,
    तज बाबुल का दार,
    दोख लावे, पूत ना जाई,
    पहलम आपणे खोट पे कर बीचार||

  23. जीत कुविस्वास जड़ जमा ले,
    उड़े तर्क कति कम ना आवें|
    समझदार बननिये आपापोखि,
    पाथर ने लड्डू जिमावे||

  24. पाटी होड़ गोज हो से,
    बेठे माणस ठाल्ली की।
    सदा विपरीत बुद्धि चाल्ले,
    असर पड़े ना सलाह,गाली की॥

  25. उह कुवाड का के पहरा,
    जिह की कोए चूळ नहीं।
    वा बाड़ भी के काम की,
    जिह में होवें शूळ नहीं॥

  26. पंडा बधावे मठ,
    कराड बधावे हाट।
    खाती बधावे काठ,
    खुड बधावे जाट।।

  27. हिम्मत बिन, हथियार,
    बीरबानी, बिन भरतार।
    धरम, बिन व्यहवाहर,
    जा ये ना ते सब बेकार॥

  1. कांवड़ ल्याएं बहु मिले,
    पाणी चढ़ाएं भरतार|
    बिटोडा फूंकें पूत मिले,
    यु किस्सा करतार?

  2. कान पडाये, लत्ते रंगाये,
    जटा-जूट, पाँ ऊभाणा|
    इस्से नर बोझ बणे,
    कहवें आपने-आप नु सयाना||

  3. उघडा फिरणा, बेहु रहणा,
    यु स जनावर का काम|
    जाट की कौम में जन्मे,
    मत करिओ कौम ने बदनाम||

  4. पैर पिछाने मोचड़ी ( जूती),
    मोर पिछाने मेह ( बारिश),
    चोर पिछाने चोर ने,
    नैन पिछाने नेह (प्रेम )||

  5. सूरज ने पाणी दे,
    जा न्यू सूरज सीला हो जा,
    फेर क्यूँ इन्दर रूसर्या,
    क्यूँ ना खेत बखत पे बू ज्यां||

  6. माँ -बाप ने पाल्या पोश्या,
    खंदा दिया तू लाम पे,
    भाप्पे-भामण मौज करें,
    भुंड खिंडावें तेरे नाम पे||

  7. एक्ला -एक्ला आया था,
    एक्ला-एक्ला जाणा स,
    कुछ दिन का यु मेला स,
    कुछ दिन का यु बाणा स|

  8. ना सुर में, ना सुरा में,
    ना स वो सुन्दरी में,
    ना कंठी में, ना माला में,
    ना कड़े छाल्कड़े मुंदरी में||

  9. कितना -ए चढ़ा लिए चढ़ावा,
    कितने-ए ला लिए भोग,
    कर्महीन का यु आडम्बर,
    यु स एक धार्मिक रोग||

  10. घर की मूरत मरें भूखी,
    मंदर धोक लिए सारे,
    तेरी गेल भी भुंडी बणणी,
    माडे से दिन थम जा प्यारे||

  11. पंडे तन्ने जिमाये चार,
    चोराहे पे बाळी बात,
    कपूत रहया कपूत का कपूत,
    ना पंडे ने तजी जात|

  12. चाहे मुंडेर पे कागा बोले,
    चाहे मुस्स जा तवे रोटी,
    वीरा तेरा आवे कोणी,
    ये सब बात भकाण की खोटी||

  13. घमंडी भोभरा, फुटट्या ढोबरा,
    काम का नहीं, दुःख दिया करे,
    माठठा बलध, निखठठु छोकरा,
    इन् ने पाळनिया भूखा मरे||

  14. आपणी धी कमेरी लागे,
    कहे में राखे स भरतार,
    बहु बड़ी कुलच्छणी लागे,
    दोगला क्यूँ करे व्यवाहर||

  15. आड़े सब का सर जावे,
    जा जोए हाथ-पाँ हिलावे,
    कीड़े पक्सी अर जानवर,
    सब का टिंड भर जावे||

  16. कोए चढ़ावे दारु उसपे,
    कोए बकरी अर म्हेंस,
    किसा भूखा भगवान् यु?
    मांश खून तें लेश||

  17. कोए लावे घोट भांग की,
    कोए रगड़े राख ने,
    दुनिया तजें मुक्ति मिले,
    संसार लड्डू चाख ने||

  18. माँ ने आपणी धी प्यारी लाग्गे,
    पीहर में वा लाड्डो राणी,
    सासू ने बहु भुंडी लाग्गे,
    सुसराड में वा खसमां खाणी||

  19. गरह बेठा दिए कुणआँ में,
    फेर वा बताई मंगली स,
    मूरख बणा खावे जो बन्दा,
    वो अधम नीच जंगली स||

  20. एक रूंख पे लाग्गे पात,
    पात-पात में फरक नहीं,
    एक जड़ तें सींचे सारे,
    बेटा-बेटी में, ठीक फरक नहीं||

  21. गंजा, काणा, कोतरा,
    किहे की ओछी घेट्टी हो|
    इन्ते बात जब करिओ,
    हाथ में संटी हो||

  22. मोके की ना देखिये बाट,
    बेरा ना मौका कद आवेगा,
    चाल उठ, छोड़ दे खाट,
    ना फेर पाछे पछ्तावेगा||

  23. पुत्री दुःख-सुख की साझी,
    हर हालत में रहवे राजी|
    पुत्र जानू मीठे मेवे,
    रब सब नु देवे।।

  24. एक्ला चाल्ले आपा-पोखी,
    ना पावे उह का कोए यार।
    नाते-रिश्ते सारे छूटज्याँ,
    कहे में रहवें ना पूत अर नार॥

  25. अरड -मरड की लाकडी,
    जावेगी इक दिन बीझ।
    बक्कल दीखे चीक्णा,
    क्याँ पे रह्या स रीझ॥

  26. मन्ने तो वो पाथर दीखे,
    उहने दीखे स भगवान्|
    वो तो उहने मंदिर कहवे,
    अर में कहूँ मंग्त्याँ की दूकान||

  27. सारे ढाल की जीनस होवें,
    इस्सा मन का स यु खेत|
    जिस्सा तू सींचे नलावे,
    उस्से -ए भरें कठेत॥

  1. महा मुरख ,महा अज्ञानी,
    झुट्ठी बनावें राम काहाणी|
    मात पिता कुढ़-कुढ़ मरगे,
    पाथर पे चाढावें सें पाणी||

  2. छोरा होया फोड़ी थाली,
    छोरी होई घर तें ख़ुशी जा ली|
    जा न्यू दुःख मनाओगे,
    ते फेर ब्याहली किथों ल्याओगे||

  3. छोह आज्या, बुद्धि दब ज्या,
    उप्पर चढ़ ज्या पारा|
    इस्से बखत निरनय ना लीजो,
    काम बिगड़ ज्या सारा||

  4. जाट ते जाट स,
    जाट बरगा ना कोए|
    सारी मेहनत जाट करे,
    राज करे भों कोए||

  5. बाप मर्या, गाम जिमाया,
    थू-थू करदा जा|
    ठुआया कर्ज का टोकणा,
    कदे रीता ना हो जा||

  6. ना गुण देख्या,
    ना देख्या नाम,
    इब्ब क्यूँ पछतावे,
    जब्ब बुद्धि फिरि देख चाम|

  7. कर तें कर के खाइओ,
    ना भरोसा कर लकीरां में,
    काम चोर सें वे बंधू,
    मंगते, रूप धरे फकीरां में|

  8. तेरी करणी, तेरे आगे,
    जो करम करे, सो ओट,
    चाहे किहे गेल, लाइए लो,
    चाहे किहे गेल, मिलाइए जोट||

  9. वो माणस ना उट्ठे कदे,
    जिह पे कर्जे की तकरार,
    गाम में इज्ज़त होवे कोणी,
    कहे में ना हो जिह की नार||

  10. कदे तू काग जीमावे,
    कदे पण्डे ने देवे सिद्धा,
    ज़िंदा जी ते बाप तेरा,
    तर्सस्या रोटियाँ, पड्या मुदधा||

  11. मिन्डकी के ब्याहें तें,
    जा इंद्र राजी हो जावे,
    में ब्याहूँ मगरमछां नु,
    मरू, समंदर हो जावे||

  12. ठाड़ा मारे, रोवण दे ना,
    खाट खोस ले, सोवण दे ना,
    आँख दिखावे ,जोहण दे ना,
    काच्ची काट ले बोवण दे ना||

  13. बिना धणी की नार,
    ज्यूँ हो हरर्या ढानढी,
    बिना बाड़ के खेत ज्यूँ ,
    चरें गाम गुहांडी||

  14. उसूल ते शूल सें,
    बखत-बखत पे ल्यो बीचार,
    कदे ये बंध कौम के,
    कदे काम देवें बिगाड़||

  15. चाँद देख उमर बधावें,
    लुगाई भूखी मर-मर जावें,
    फेर वैद की जरूत के?
    क्यूँ लोग मरदे जावें||

  16. कोए चाल्या केलाश ने,
    कोए चाल्या हज,
    किम्मे ना धरया इस हांड में,
    मात-पिता ने भज||

  17. मुक्ति-मुक्ति सब रटें,
    मुक्त होया ना कोए,
    गुणी-दुर्गुणी तन आपणा,
    सब भोगें सुख होए|

  18. लोग मरया, लुगाई सती,
    गेल चिता चढ़, जल जावे,
    लुगाई मरे, लोग ना चिता चढ़े,
    तेहरामी ने दूजी ले आवे?

  19. भामण बुलाया, नाम क्ढाया,
    नाम धरया उह का मंगल,
    एक काम कदे सीधा ना कर्या,
    रोज करे उह ने दंगल||

  20. दूर का बटेऊ फूल बरगा,
    ताव्ला आणिया आधा,
    घरजमाई ने कितना-ए रगडो,
    यु इस्सा जाणु हो गधा||

  21. दाग, चाहे बेटा दे, चाहे दे बेटी,
    दोनूं सें एक रूंख के बीज,
    आखिर में स बाप ने दगना,
    दोनुआँ पे एक सा रीझ||

  22. पीपल-बड़ के बांधे ताग्गे,
    जा न्यू छोरे जम्मण लाग्गे,
    सारी सरसटी बदल क धर दी,
    भामण धरम आड़ में दुनिया ठाग्गे||

  23. में अज्ञानी गंवार,
    क्यूकर लाग्गे बेड़ा पार।
    दिवा ब़ले ज्ञान का,
    परम सुखी होवे संसार ।।

  24. बद आछा बदनाम भूंडा,
    पर सद्चरित्र का कोए मोल नहीं।
    बद भीतर तें थोथा मर्ज्या,
    सद का कोए तौल नहीं॥

  25. जिह के पांह में मोच,
    अर जिह की माड़ी सोच|
    आगे बध्ण की आस नहीं,
    किहे गेल,आवे उह की रास नहीं||

  26. बिन पाणी, धान घटे,
    मान्गनिये का मान घटे|
    जिह घर में पड़ी फूट,
    उह घर की आन घटे॥

  27. 'खा' आपणा हाजमा देख,
    'ठा' आपणा जाथर देख|
    'पहर' दुनिया की नजर देख,
    'पसार' आपणा धोरा देख॥

  1. होवे जब अपार धन,
    बणे घणेरे यार,
    जिह दिन मुक़ जावे,
    जावें सारे पार||

  2. कोए जावे दंडवत करदा,
    कोए जावे लोटम लोट,
    बिन करमां झोली भरदे,
    फेर उस इस्वर में स खोट||

  3. कोए पहरे गंडा,
    कोए लेर्या ताबीज,
    कोए भस्म की पुडिया,
    रहे मरीज के मरीज||

  4. राम मिलावे जोड़ी,
    फेर क्यूँ होवे तकरार,
    मन मिलन में से सिद्धि,
    होवे बड़ा पार||

  5. नजर लगाएं लागे नजर,
    नजर तारें उतरे नजर,
    फेर के जरूत फौज की,
    क्यूँ बनाए तलवार खंजर||

  6. आंधा, काणा, मुका,
    बोना, काग अर नाइ,
    इन् तें बच के रहिओ,
    इनके एक नश बाध बताई||

  7. धनाँ में धन, ज्ञान धन,
    इह तें बड्डा ना कोए,
    ना कोए खोश कें ले जा,
    ना यु चोरी होए||

  8. चाँद देखें उमर बधे,
    फेर बधया क्यूँ नि संसार,
    रोज क्यूँ बलें छले,
    क्यूँ रोवें दुखी परिवार||

  9. यु भी गया, वो भी गया,
    जावेगा सारा संसार,
    फेर भी क्यूँ चिपटर्या,
    ना गेल्याँ जा कबीला परिवार||

  10. मुस्से पे हाथी बिठाया,
    फेर हाथी नारी तें जन्माया,
    कहवे आपणे आप नु श्याणा,
    झुट्ठ बोल्दा नि शरमाया||

  11. वो आया ते थाली फुट्टी,
    वा आई ते दादी रुस्सी,
    दोनु "जी" में के फरक पाया,
    माँ की कोख एक सी चिस्सी||

  12. कोतरी बोलें आवें यमदूत,
    मोर बोलें चोर,
    बिल्ली रोवे अपशकुनी,
    कद आवे ज्ञान की भोर||

  13. गाम बसाया, बणआई धोक,
    बाकी बताये सब पाखण्ड,
    म्हारे पुर्खयाँ की रीत रिवाज,
    कौम रहवे सदा अखंड||

  14. बधे वा जिन्दगी,
    घटे वा उमर,
    आड़े सब का सरे:,
    जो स उह में कर सबर||

  15. बिन लागत का धंधा यु,
    माणस होया आंधा क्यूँ,
    मुफतखोर ने दूकान जमाई,
    मन का स गंदा यु||

  16. कोए जावे उलटे पायां,
    कोए जावे लोटम लोट,
    उसने तू टोहवे कित?
    भीतर वो तेरे ,जित सें खोट||

  17. माला फेरी, राम रटया,
    गंजा होया, सर घुट्या,
    पाखंडीयाँ का यु दिखावा,
    ना इश मिल्या, ना जग छुटटया||

  18. जो लुकोवे गाम, जात, गोत,
    उह बन्दे में स बड्डा खोट,
    इस्सा ना किहे काम का,
    बेपेंदे का,बेरा ना त्ड्कें सांझ का||

  19. कोए लेर्या नाम ने,
    कोए बांधे गण्डा,
    आगे धर के ले काम ने,
    मरज का ठोड पाटे झंडा||

  20. सब के सामी बियाह के ल्याया,
    बांध्या था तन्ने सर पे मोड़,
    उह का तेरे में जी बसे,
    दिए मतना कदे उह का साथ छोड़||

  21. नाम बड्डा स सागर का,
    पंछी तशाया मर जावे|
    सागर तें नदी भली,
    जग की त्यश बुझावे||

  22. सारी दुनिया का पेट भरे,
    खाली पेट, अर पाँ ऊभाणा,
    हाथां हल, कड़ पे तलवार,
    जाट ने तड़प-तड़प मर जाणा||

  23. तड़प-तड़प के जग मर्या,
    ना पाया ओर -छोर।
    क्यूँ मोह माया में भालाखिये,
    जिंदडी तें जिंदडी जोड़ ॥

  24. रह्डुआ स प्रेम परिवार,
    दो बरोबर इह के चाक।
    धोरी टूटी इक पास्से,
    उलटी मारे डांक॥

  25. कोए चढ़ावे फूल चितर पे,
    कोए चढ़ावे चाद्दर मजार।
    मरे ने सुगंध कदे ना आवे,
    ना कदे हाड मरें जड्डार॥

  26. "वा "ना रहवे निर्धन की,
    परजा ना, हारे राजन की|
    पखेरू ना, रूंख बिन भोजन के,
    बटेउ, बिन खुशामद भाजन के॥

  27. तम खुदा ने मंड के टोह ल्यो,
    में ते खुद ने टोहूँ सूँ|
    तम भलाखे कल्प बरख के,
    में ते रूँख आम के बोउँ सूँ॥


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर

लेखन अर सामग्री सौजन्य: रविंदरजीत सिंह बल्हारा (रवि अतृप्त)

तारय्ख: 05/01/2013

छाप: न्यडाणा हाइट्स

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

ह्वाल्ला:
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आग्गै-बांडो
न्य. हा. - बैनर अर संदेश
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यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
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छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH
 
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बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
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